अमेरिका की धमकी पर भारत का दो-टूक, बोले- नहीं खरीदा होता रूस से तेल, तो 130 डॉलर पहुंच जाता बैरल
भारत, रूस और चीन की दोस्ती से अमेरिका और NATO देशों की बेचैनी बढ़ गई है। NATO प्रमुख मार्क रुटे ने खुलेआम भारत, चीन और ब्राजील को रूस से व्यापार न करने की धमकी दे दी है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर ये देश रूस के साथ कारोबार जारी रखते हैं, तो उन पर 100 प्रतिशत सेकेंड्री सैंक्शं लगाए जा सकते हैं।
रुटे की भाषा पूरी तरह से डोनाल्ड ट्रंप की लाइन पर नजर आई। जानकार मानते हैं कि अमेरिका चाहता है कि भारत और चीन, रूस की जगह अमेरिका से व्यापार करें — और वो भी वॉशिंगटन की शर्तों पर। लेकिन भारत ने इस धमकी पर भी साफ संदेश दे दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।
भारत ने जवाब में कहा है, “अगर हमने रूस से कच्चा तेल न खरीदा होता, तो आज वैश्विक बाजार में तेल की कीमतें 120-130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी होतीं।” भारत ने अब तक रूस से 60 बिलियन डॉलर का तेल खरीदा है, जिससे वैश्विक महंगाई पर लगाम लगी है।
अमेरिका की दोहरी नीति बेनकाब
सबसे दिलचस्प बात यह है कि खुद अमेरिका, रूस से यूरेनियम की खरीद कर रहा है, जबकि उसने रूस पर 21,000 से ज्यादा प्रतिबंध लगा रखे हैं। इससे अमेरिका की दोहरी नीति उजागर हो जाती है।
ट्रंप का अल्टीमेटम, लेकिन असर नहीं
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और चीन को 50 दिन का अल्टीमेटम दिया है, लेकिन भारत ने इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हुए रूस के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत करने के संकेत दिए हैं।
RIC फिर से एक्टिव?
जानकारों का मानना है कि RIC (Russia-India-China) फॉर्मेट को फिर से सक्रिय करने की तैयारी चल रही है, जो BRICS से अलग एक नई रणनीतिक धुरी बन सकती है। अगर ऐसा होता है तो अमेरिका और NATO देशों के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है।
निष्कर्ष:
भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपने फैसले खुद करेगा, चाहे कोई भी देश कितना भी दबाव क्यों न बनाए। मोदी-पुतिन की रणनीतिक साझेदारी केवल कूटनीतिक नहीं बल्कि वैश्विक ऊर्जा संतुलन के लिए भी जरूरी है। NATO देशों की धमकी का भारत-रूस मिलकर ठोस और संतुलित जवाब दे रहे हैं — और यही पश्चिमी देशों की सबसे बड़ी चिंता बन गया है।