प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी7 सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कनाडा के अल्बर्टा जा रहे हैं। लेकिन इस बार उनकी यात्रा से पहले ही एक बड़ा कूटनीतिक कदम सामने आया है, जिसने तुर्की को सकते में डाल दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीएम मोदी का विमान कनाडा रवाना होने से पहले ईंधन भरवाने के लिए साइप्रस में रुकेगा।
साइप्रस में ईंधन भरवाने का संदेश
विशेषज्ञों का कहना है कि पीएम मोदी का यह कदम कोई साधारण पड़ाव नहीं, बल्कि तुर्की के लिए एक कड़ा संदेश है। तुर्की, जो अक्सर पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत विरोधी रुख अपनाता रहा है, उसे भारत के इस कदम से करारा झटका लग सकता है। दरअसल, भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान तुर्की ने पाकिस्तान को न सिर्फ ड्रोन मुहैया कराए, बल्कि भारत के खिलाफ सैन्य मदद भी की थी। इसके चलते भारत में कई लोगों ने तुर्की के बहिष्कार का ऐलान किया था।
साइप्रस की रणनीतिक अहमियत
पूर्वी भूमध्य सागर में स्थित साइप्रस गणराज्य ग्रीस के पूर्व में और तुर्की के दक्षिण में स्थित है। 1974 में तुर्की सेना ने इस द्वीप के 36% हिस्से पर कब्जा कर लिया था और तब से यहां ग्रीन लाइन के जरिए संयुक्त राष्ट्र बफर ज़ोन बना हुआ है। साइप्रस और तुर्की के बीच समुद्री सीमा, संप्रभुता और अन्य मुद्दों पर तनाव बना रहता है। ऐसे में भारत का यह कदम तुर्की को स्पष्ट संदेश देता है कि भारत साइप्रस के साथ खड़ा है।
भारत-साइप्रस के रिश्ते
भारत लंबे समय से साइप्रस समस्या के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता रहा है और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत वहां की संप्रभुता का सम्मान करता है। आतंकवाद और कश्मीर के मुद्दे पर भी साइप्रस ने हमेशा भारत का समर्थन किया है।
तुर्की के लिए मुश्किलें
इस घटनाक्रम के बाद पाकिस्तान और तुर्की की चुप्पी को लेकर सवाल उठ रहे हैं। भारत ने हमेशा वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। पीएम मोदी के इस कदम से साफ हो गया है कि भारत अब तुर्की को उसी की भाषा में जवाब देने से नहीं चूकेगा।
जी7 सम्मेलन में भारत की मौजूदगी
बता दें कि इस बार जी7 सम्मेलन कनाडा के अल्बर्टा में हो रहा है। पीएम मोदी की यात्रा पहले से ही कनाडा के खालिस्तानियों के विरोध के चलते चर्चा में है। ऐसे में साइप्रस में ईंधन भरवाने के बहाने भारत का यह कदम निश्चित तौर पर तुर्की और उसके समर्थकों को परेशान कर सकता है।