नई दिल्ली : भारत और चीन के बीच लंबे समय से चली आ रही तनावपूर्ण स्थितियों के बाद, भारत ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 5 साल बाद चीनी नागरिकों को पर्यटक वीजा देने का फैसला लिया है। यह फैसला भारत-चीन संबंधों में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
भारत सरकार ने यह निर्णय 2025 के जुलाई महीने से लागू करने का ऐलान किया है। यह निर्णय 2019 में कोविड महामारी और 2020 में गलवान घाटी में हुए विवाद के बाद की परिस्थितियों को देखते हुए लिया गया है। इस घटनाक्रम के बाद भारत और चीन के बीच यात्रा और वीजा संबंधित नीतियों पर कड़ी रोक लगाई गई थी, जो अब पांच साल बाद खत्म हो रही है।
बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि चीनी नागरिक अब भारतीय वीजा आवेदन प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकेंगे। इस दौरान, भारतीय वीजा केंद्र में पासपोर्ट वापसी के लिए एक ‘पासपोर्ट विदड्रॉल लेटर’ भी जरूरी होगा।
2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे, और भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कई बार तनाव बढ़ चुका था। लेकिन, इसके बाद दोनों देशों की सेनाओं के बीच कई दौर की कूटनीतिक बातचीत हुई और सैनिकों की वापसी के समझौते के बाद रिश्तों में सुधार की प्रक्रिया शुरू हुई।
भारत और चीन के रिश्तों को सुधारने के उद्देश्य से, दोनों देशों के बीच लोगों के संपर्क बढ़ाने पर भी जोर दिया जा रहा है। इस उद्देश्य के तहत, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों की शुरुआत और कैलाश मानसरोवर यात्रा के पुनः शुरू करने की योजना बनाई गई है। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में चीन दौरे के दौरान इस बात की पुष्टि की थी कि भारत-चीन संबंध धीरे-धीरे सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं।
यह निर्णय भारत और चीन के रिश्तों को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और आने वाले समय में दोनों देशों के बीच रिश्तों में और सुधार देखने को मिल सकता है।