क्या चीन ने पाकिस्तान से मुंह मोड़ लिया है? शहबाज शरीफ पर टूटा विदेशी दबाव, भारत और अमेरिका की रणनीति ने बदला समीकरण
चीन-पाकिस्तान के रिश्तों में खटास
पाकिस्तान को लेकर चीन का रुख अचानक बदल गया है। सूत्रों के मुताबिक, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सीधे फोन कर फटकार लगाई है।
चीन का कहना है कि वह पाकिस्तान को आर्थिक और सैन्य सहयोग दे रहा है – फिर भी पाकिस्तान ने युद्धविराम के लिए अमेरिका के डोनाल्ड ट्रंप का धन्यवाद किया, चीन का नाम तक नहीं लिया।
नतीजा – चीन ने सभी आर्थिक प्रोजेक्ट्स और लोन पर पुनर्विचार की चेतावनी दे दी है। इस घटनाक्रम ने पाकिस्तान की आर्थिक रीढ़ और कूटनीतिक रणनीति को झटका दे दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप का दावा और भारत की प्रतिक्रिया
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को व्यापारिक संबंध समाप्त करने की चेतावनी दी थी, जिसके बाद पाकिस्तान ने युद्धविराम लागू किया।
लेकिन भारत ने इस बयान को स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।
भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा – “सीजफायर हमारी सशक्त प्रतिक्रिया का परिणाम था, न कि किसी तीसरे देश की धमकी का।”
हालांकि शहबाज शरीफ ने ट्विटर पर ट्रंप को धन्यवाद कह कर कूटनीतिक उलझन और बढ़ा दी।
पाकिस्तान में रेडिएशन और अंदरूनी संकट
पाकिस्तान से कई अपुष्ट खबरें सामने आ रही हैं जिनमें रेडिएशन के चलते मौतों की आशंका जताई जा रही है।
सोशल मीडिया पर न्यूक्लियर रिसाव, रेडियोएक्टिव सामग्री और लोगों की अस्वस्थता से जुड़े तमाम दावे वायरल हो रहे हैं।
हालांकि, अभी तक पाकिस्तान सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
बलूचिस्तान में BLA का बड़ा हमला
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तान में अपनी गतिविधियां और तेज कर दी हैं।
BLA ने दावा किया है कि उसने पाकिस्तानी सेना और पुलिस के 39 ठिकानों पर हमला किया है।
इनमें पुलिस स्टेशन, सुरक्षा काफिले और सरकारी इमारतें शामिल हैं।
BLA ने पंजगूर और होसाब इलाकों में कई सरकारी इमारतों पर कब्जा करने और हथियार जब्त करने का भी दावा किया है।
निष्कर्ष – पाकिस्तान चौतरफा संकट में
- चीन की नाराजगी से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को झटका।
- अमेरिका और भारत के बीच उलझती कूटनीति।
- बलूचिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात।
- और अब रेडिएशन की अटकलों ने डर और दहशत का माहौल बना दिया है।
क्या पाकिस्तान इन तमाम मोर्चों से निकल पाएगा? या ये उसके लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर और बड़ी गिरावट की शुरुआत है?