जापान में अति-दक्षिणपंथी नेता साने ताकाइची के सत्ता में आने के बाद देश की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। आव्रजन (इमिग्रेशन) के खिलाफ उनका कड़ा रुख अब सरकारी नीतियों में साफ दिखने लगा है। जबकि जापान तेज़ी से बूढ़ी होती जनसंख्या और श्रमिकों की भारी कमी से जूझ रहा है, ऐसे समय में “जापानी फर्स्ट” की मुहिम ने आर्थिक तर्क को पीछे धकेल दिया है।
जापान में ‘जापानी फर्स्ट’ का उभार क्यों बढ़ा?
ताकाइची ने चुनाव अभियान में आव्रजन के खिलाफ कठोर लाइन अपनाई।
इसने:
- रूढ़िवादी मतदाताओं
- सान्सेतो जैसी उग्र-दक्षिणपंथी पार्टियों
- “जापानी प्रथम” सोच वाले समूहों
को एक साथ ला दिया।
परिणामस्वरूप, संसद में दक्षिणपंथी दलों की पकड़ बढ़ चुकी है, और देश में विदेशी-विरोधी भावनाएं तेजी से मजबूत हो रही हैं।
आर्थिक संकट है गहरा — फिर भी इमिग्रेशन विरोध बढ़ता क्यों?
जापान विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में
सबसे तेजी से बूढ़ा होने वाला
और
सबसे तेजी से घटती जनसंख्या वाला
देश है।
लगभग सभी विशेषज्ञ मानते हैं कि आर्थिक विकास के लिए प्रवासी श्रमिकों की जरूरत बेहद जरूरी है।
लेकिन हाल के वर्षों में झूठे दावों और सोशल मीडिया प्रचार ने माहौल बदल दिया है:
- प्रवासी श्रमिकों पर अपराध के आरोप
- विदेशी निवासियों द्वारा कल्याण योजनाओं के दुरुपयोग के दावे
- अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों द्वारा संस्कृति को नुकसान पहुंचाने की बातें
अकसर बढ़ा-चढ़ाकर पेश की जा रही हैं।
फॉरेन अफेयर्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, इन दावों ने जापानी राजनीति में विदेशी विरोधी भावना को स्थायी जगह दे दी है।
क्या अब जापान के इमिग्रेशन सुधार खत्म हो जाएंगे?
2018 में शिंज़ो आबे सरकार ने पहली बार बड़े पैमाने पर आव्रजन सुधार शुरू किए थे।
उद्देश्य था:
- विदेशी श्रमिकों के लिए नियंत्रित और सुरक्षित रास्ते खोलना
- जापान में भारी श्रम की कमी को पूरा करना
- आर्थिक संकट को संभालना
पिछले साल प्रवासी श्रमिकों के लिए मार्ग और अधिक विस्तारित किए गए थे।
लेकिन ताकाइची सरकार के आने के बाद ये सुधार अब खतरे में पड़ गए लगते हैं।
नए राजनीतिक माहौल में क्या होगा आगे?
ताकाइची की सरकार:
- विदेशी श्रमिकों की संख्या सीमित करने
- कड़े नियम लागू करने
- जापान की “जातीय एकरूपता” को सुरक्षित रखने
जैसी रणनीतियां अपना सकती है।
यह कदम जापान की अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेंगे।
निष्कर्ष — जातीय पहचान बनाम आर्थिक जरूरत
जापान इस समय उस मोड़ पर खड़ा है जहां:
- एक तरफ बूढ़ी हो रही आबादी और श्रमिकों की कमी है
- दूसरी तरफ तेजी से बढ़ता राष्ट्रवादी और इमिग्रेशन विरोधी माहौल
ताकाइची की सरकार में “जापानी फर्स्ट” की लहर इतनी मजबूत दिख रही है कि वह देश के लंबे समय से चल रहे आव्रजन सुधारों को पीछे धकेल सकती है।
