त्रिनिदाद और टोबैगो, 5 जुलाई 2025 — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद में ऐतिहासिक भाषण दिया, जो कई बार तालियों की गूंज से गूंजता रहा। अपने भाषण के दौरान उन्हें 23 बार रुकना पड़ा, क्योंकि सांसदों ने 28 बार तालियों से उनका स्वागत किया।
पीएम मोदी ने संसद को संबोधित करते हुए भारत और त्रिनिदाद-टोबैगो के बीच 180 साल पुराने रिश्तों को याद किया। उन्होंने कहा कि जब भारतीय पहली बार समुद्र पार कर इस धरती पर पहुंचे थे, तब से लेकर आज तक दोनों देशों के बीच का रिश्ता केवल मजबूत हुआ है। उन्होंने कैरेबियाई संस्कृति में भारतीय धुनों के मेल, क्रिकेट, राजनीति, वाणिज्य और कविता में भारतीय योगदान का ज़िक्र किया।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में उस ऐतिहासिक अध्यक्षीय कुर्सी की भी चर्चा की, जिसे भारत ने 1968 में त्रिनिदाद-टोबैगो की संसद को उपहार स्वरूप दिया था। उन्होंने कहा कि यह कुर्सी सिर्फ एक फर्नीचर नहीं, बल्कि दो लोकतंत्रों के बीच दोस्ती, विश्वास और सम्मान का प्रतीक है।
मोदी ने कहा, “जब मैंने इस कुर्सी पर लिखे शब्द पढ़े कि ‘भारत के लोगों की ओर से त्रिनिदाद और टोबैगो के लोगों को’, तो मैं भावुक हो गया। यह शब्द दोनों देशों के संबंधों की गहराई को दर्शाते हैं।”
पीएम मोदी ने द्विपक्षीय संसदीय संबंधों को और आगे बढ़ाने का आह्वान किया और कहा कि लोकतंत्र के मूल्यों और पारंपरिक संबंधों पर आधारित यह साझेदारी आने वाले वर्षों में और मजबूत होगी। उन्होंने इस ऐतिहासिक रेड हाउस में बोलने का अवसर मिलने पर भी आभार जताया।
यह संबोधन न सिर्फ ऐतिहासिक था, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक, राजनीतिक और लोकतांत्रिक बंधन को फिर से परिभाषित करने वाला भी रहा।