Spleen laceration : स्प्लीन लैकेरेशन, जिसे हिंदी में तिल्ली की चोट या तिल्ली का फटना कहा जाता है, एक गंभीर चोट है जो आमतौर पर पेट के हिस्से में तेज धक्के या ट्रॉमा से होती है। तिल्ली (spleen) शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है जो बाईं ओर पसलियों के नीचे स्थित होता है। यह रक्त को फिल्टर करता है, संक्रमण से लड़ता है और पुरानी रक्त कोशिकाओं को नष्ट करता है। हाल ही में भारतीय क्रिकेटर श्रेयस अय्यर को इस चोट का सामना करना पड़ा, जब वे मैच के दौरान गिरे और तिल्ली में चोट लग गई। इस लेख में हम स्प्लीन लैकेरेशन के कारण, लक्षण, इलाज और रिकवरी के बारे में विस्तार से जानेंगे। ध्यान दें, यह जानकारी सामान्य ज्ञान के लिए है; किसी भी स्वास्थ्य समस्या पर डॉक्टर से सलाह लें।
स्प्लीन लैकेरेशन क्या है?
स्प्लीन लैकेरेशन तिल्ली में एक कट, फाड़ या दरार है, जो आमतौर पर बाहरी चोट (ट्रॉमा) से होती है। तिल्ली एक नरम अंग है, इसलिए यह आसानी से फट सकती है। चोट की गंभीरता को ग्रेड 1 से 5 तक वर्गीकृत किया जाता है—ग्रेड 1 हल्की चोट है, जबकि ग्रेड 5 में तिल्ली पूरी तरह फट जाती है। अगर चोट से आंतरिक रक्तस्राव हो जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकती है। डॉक्टरों के अनुसार, पेट के ट्रॉमा के 7-10% मामलों में तिल्ली ही सबसे ज्यादा प्रभावित होती है।
स्प्लीन लैकेरेशन के कारण
यह चोट ज्यादातर ब्लंट ट्रॉमा (नरम चोट) से होती है, जिसमें कोई तेज हथियार शामिल नहीं होता। मुख्य कारण:
- स्पोर्ट्स इंजरी: क्रिकेट, फुटबॉल या अन्य संपर्क खेलों में गिरना या टक्कर लगना (जैसे श्रेयस अय्यर का मामला)।
- सड़क हादसे: कार दुर्घटना या बाइक एक्सीडेंट में पेट पर जोरदार धक्का।
- झगड़े या गिरना: घरेलू विवाद या ऊंचाई से गिरने से।
- अन्य: दुर्घटनावश पेट पर मुक्का मारना या भारी सामान गिरना।
कभी-कभी पहले से बढ़ी हुई तिल्ली (जैसे मलेरिया या लीवर सर्कोसिस से) होने पर चोट का खतरा बढ़ जाता है।

स्प्लीन लैकेरेशन के लक्षण
चोट लगने के तुरंत बाद लक्षण दिखने लगते हैं। शुरुआत में हल्का दर्द लगता है, लेकिन रक्तस्राव बढ़ने पर स्थिति बिगड़ जाती है। मुख्य लक्षण:
- बाएं पेट में तेज दर्द: पसलियों के नीचे या बाईं ओर, जो सांस लेने पर बढ़ता है।
- बाएं कंधे में दर्द: रक्त के कारण डायाफ्राम पर दबाव पड़ने से (रेफर्ड पेन)।
- सांस लेने में तकलीफ: छाती या पेट में दबाव महसूस होना।
- चक्कर आना या बेहोशी: रक्तस्राव से ब्लड प्रेशर गिरने पर।
- पेट फूलना या कठोर होना: आंतरिक रक्त जमा होने से।
- उल्टी या मतली: गंभीर मामलों में।
अगर रक्तस्राव ज्यादा हो, तो 24-48 घंटों में स्थिति जानलेवा हो सकती है।
स्प्लीन लैकेरेशन का इलाज
इलाज चोट की गंभीरता पर निर्भर करता है। डॉक्टर पहले CT स्कैन या अल्ट्रासाउंड से चोट का आकलन करते हैं। मुख्य इलाज के विकल्प:
- कंजर्वेटिव मैनेजमेंट (नॉन-सर्जिकल): हल्की चोट (ग्रेड 1-2) में रक्तस्राव खुद रुक जाता है। मरीज को ICU में रखा जाता है, जहां:
- रक्तचाप की निगरानी: IV फ्लूइड्स और ब्लड ट्रांसफ्यूजन से रक्त की कमी पूरी की जाती है।
- आराम: मरीज को कुछ दिनों तक बेड रेस्ट पर रखा जाता है।
- दवाएं: दर्द निवारक और एंटीबायोटिक्स संक्रमण से बचाने के लिए।
- सर्जरी: गंभीर चोट (ग्रेड 3-5) में रक्तस्राव न रुके तो आपातकालीन सर्जरी जरूरी।
- स्प्लेनेक्टॉमी: तिल्ली को पूरी तरह निकालना (सबसे आम, लेकिन संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है)।
- स्प्लीन रिपेयर: चोट को सिलकर ठीक करना। सर्जरी के बाद मरीज को वैक्सीनेशन (प्न्यूमोकोकल, मेंिंगोकोकल) की जरूरत पड़ती है, क्योंकि तिल्ली संक्रमण से लड़ने में मदद करती है।

स्प्लीन लैकेरेशन से रिकवरी: कितना समय लगता है?
रिकवरी चोट की गंभीरता पर निर्भर करती है:
- हल्की चोट: 2-4 हफ्ते में सामान्य गतिविधियां शुरू हो सकती हैं।
- सर्जरी के बाद: 4-6 हफ्ते तक आराम, फिर धीरे-धीरे व्यायाम। पूर्ण रिकवरी में 3-6 महीने लग सकते हैं।
- ध्यान रखें: सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा रहता है, इसलिए वैक्सीन जरूरी। डॉक्टर नियमित फॉलो-अप सलाह देते हैं।
रोकथाम के उपाय
- सुरक्षा उपकरण: स्पोर्ट्स में हेलमेट, गार्ड्स का इस्तेमाल।
- सीट बेल्ट: गाड़ी चलाते समय।
- जागरूकता: पेट पर चोट लगने पर तुरंत डॉक्टर से जांच।
स्प्लीन लैकेरेशन जानलेवा हो सकती है, लेकिन त्वरित इलाज से बचाव संभव है। अगर आपको पेट में तेज दर्द या चोट लगे, तो फौरन मेडिकल हेल्प लें।
