मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता अरशद वारसी, उनकी पत्नी मारिया गोरेटी और उनके भाई को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने बड़ा झटका दिया है। सेबी ने इन सभी पर शेयर बाजार में धोखाधड़ी में संलिप्त होने का दोषी मानते हुए एक वर्ष तक शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मामला साधना ब्रॉडकास्ट लिमिटेड (अब क्रिस्टल बिजनेस सिस्टम लिमिटेड) के शेयरों में कृत्रिम उछाल और निवेशकों को गुमराह कर मुनाफा कमाने से जुड़ा है।
क्या है पूरा मामला
सेबी की जांच में सामने आया कि मार्च 2022 से नवंबर 2022 के बीच साधना ब्रॉडकास्ट के शेयरों की कीमत को कृत्रिम तरीके से बढ़ाया गया, जिसे शेयर बाजार की भाषा में “पंप एंड डंप स्कीम” कहा जाता है। इस स्कीम के तहत 60 लोगों ने मिलकर योजना बनाई, जिसमें शेयर की कीमतें बढ़ाकर आम निवेशकों को आकर्षित किया गया और फिर ऊंचे दाम पर शेयर बेच दिए गए, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।
अरशद वारसी की भूमिका
सेबी की रिपोर्ट के अनुसार, अरशद वारसी, उनकी पत्नी और उनके भाई ने अपने डीमैट खातों से बड़ी मात्रा में इन शेयरों की खरीद-बिक्री की। जांच में यह भी सामने आया कि मनीष मिश्रा नामक व्यक्ति के साथ उनकी व्हाट्सएप चैट में उन्हें एक खाते में 25 लाख रुपये ट्रांसफर करने की पेशकश की गई थी।
सेबी की कार्रवाई
- एक साल तक शेयर बाजार में भागीदारी पर रोक
- प्रत्येक पर ₹5 लाख का जुर्माना
- कुल ₹1.05 करोड़ की अवैध कमाई की वसूली का आदेश
सोशल मीडिया का दुरुपयोग
सेबी ने इस घोटाले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और यूट्यूब चैनलों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर किया है। The Advisor, Midcap Calls, Profit Yatra, Moneywise, India Bullish जैसे चैनलों ने कंपनी के भविष्य को लेकर भ्रामक जानकारियां फैलाईं, जिससे खुदरा निवेशकों को गुमराह कर खरीदारी कराई गई।
अन्य प्रमुख आरोपी
- मनीष मिश्रा: मुख्य साजिशकर्ता, ₹5 करोड़ का जुर्माना
- गौरव गुप्ता: ₹18.33 करोड़ का सबसे अधिक मुनाफा, पूरी राशि लौटाने का आदेश
- साधना बायो ऑइल्स प्रा. लि.: ₹9.41 करोड़ की अवैध कमाई, वापसी का निर्देश
- अन्य आरोपी: राकेश गुप्ता, सुभाष अग्रवाल, पीयूष अग्रवाल, लोकेश शाह – सभी पर ₹2 करोड़ का जुर्माना
- एक आईपीएस अधिकारी: सेबी से समझौता कर मामला सुलझाया
निवेशकों के लिए चेतावनी
सेबी ने कहा है कि सोशल मीडिया पर मिलने वाली शेयर टिप्स को बिना पुष्टि के फॉलो करना भारी नुकसानदेह हो सकता है। यह मामला बताता है कि कैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को धोखाधड़ी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।