1952 में डॉ. राजेंद्र प्रसाद से सूरजपुर में हुई थी मुलाकात — राष्ट्रपति ने 6 वर्षीय गोलू को गोद में उठाकर रखा था नाम ‘बसंत’
रायपुर, 19 नवम्बर 2025
छत्तीसगढ़ की सरगुजा धरती एक बार फिर ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनने जा रही है। वर्ष 1952 में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सूरजपुर आगमन के बाद अब वर्ष 2025 में वर्तमान राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू 20 नवंबर को अंबिकापुर पहुंचने वाली हैं। उनके इस दौरे ने पूरे जनजातीय समाज में उत्साह का माहौल बना दिया है। इसी उत्साह के बीच सबसे अधिक भावनात्मक रूप से जुड़ा नाम है 80 वर्षीय बसंत पंडो का।
बसंत पंडो वही व्यक्ति हैं जिन्हें वर्ष 1952 में, मात्र छह वर्ष की आयु में, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने सूरजपुर में अपने दौरे के दौरान गोद में उठाया था और स्नेहपूर्वक ‘गोलू’ का नाम बदलकर ‘बसंत’ रखा था। इसी पल को वे अपने जीवन की सबसे अनमोल स्मृति मानते हैं।
73 साल पुरानी यादों को फिर से जीवित करने की इच्छा
अब, 73 वर्षों बाद, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगमन से बसंत पंडो को उनसे मिलने की उम्मीद जागी है। वे राष्ट्रपति से मिलकर न केवल अपनी उस ऐतिहासिक स्मृति को साझा करना चाहते हैं बल्कि पंडो समाज के प्रमुख मुद्दों और अपेक्षाओं को भी उनके सामने रखना चाहते हैं।
‘राष्ट्रपति भवन’ आज भी याद दिलाता है इतिहास
सूरजपुर में जिस स्थान पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद रुके थे, वह आज भी ‘राष्ट्रपति भवन’ के नाम से जाना जाता है। पंडो समाज को विश्वास है कि बसंत पंडो की यह संभावित मुलाकात उनके समुदाय के लिए सकारात्मक बदलाव का आधार बनेगी।
जनजातीय समाज प्रमुखों की भी होगी मुलाकात
राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के अंबिकापुर प्रवास के दौरान जनजातीय समाज के प्रमुखों से मुलाकात का कार्यक्रम भी प्रस्तावित है। ऐसे में पंडो समाज को उम्मीद है कि बसंत पंडो को भी राष्ट्रपति से मिलने का अवसर मिलेगा और वे अपनी ऐतिहासिक कहानी तथा समुदाय की आकांक्षाओं को सामने रख सकेंगे।
