राजिम तेलीन दाई छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक देवी हैं, जिनकी पूजा छत्तीसगढ़ के लोक जीवन में गहरी आस्था और सम्मान के साथ की जाती है। तेलीन दाई को श्रमशीलता, सेवा और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। इनकी विशेष रूप से पूजा राजिम क्षेत्र में की जाती है, जो “त्रिवेणी संगम” के लिए प्रसिद्ध है, जहां महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों का संगम होता है।
राजिम तेलीन दाई की कहानी:
राजिम तेलीन दाई से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, वे एक तेली जाति की महिला थीं, जिन्होंने भगवान विष्णु (राजीव लोचन) की सेवा और भक्ति के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उनकी भक्ति और समर्पण से प्रभावित होकर भगवान ने उन्हें देवी के रूप में मान्यता दी।
कहा जाता है कि राजिम क्षेत्र में तेलीन दाई ने श्रम और सेवा से भगवान राजीव लोचन के मंदिर निर्माण में योगदान दिया था। इस कारण से उन्हें न केवल भक्ति की देवी, बल्कि मेहनतकश जीवन शैली का प्रतीक भी माना जाता है।
राजिम तेलीन दाई का मंदिर:
- राजिम में स्थित तेलीन दाई का मंदिर प्रसिद्ध है। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र है।
- हर साल माघ पूर्णिमा के समय राजिम मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु तेलीन दाई और भगवान राजीव लोचन के दर्शन करने आते हैं।
पूजा और मान्यता:
- तेलीन दाई की पूजा मुख्य रूप से किसानों, मजदूरों और मेहनतकश लोगों द्वारा की जाती है।
- भक्त तेलीन दाई से अपने परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और अच्छे भविष्य की कामना करते हैं।
लोक परंपरा में स्थान:
- तेलीन दाई छत्तीसगढ़ की मातृ शक्ति का प्रतीक हैं। वे यह संदेश देती हैं कि भक्ति, परिश्रम और सेवा के माध्यम से ईश्वर को पाया जा सकता है।
संक्षेप में:
राजिम तेलीन दाई छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक और धार्मिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी कहानी यह सिखाती है कि जाति, वर्ग और पेशे से परे, सच्ची भक्ति और सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।