रायपुर, पं. नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग (क्षेत्रीय कैंसर संस्थान) ने कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। यहां पहली बार पेट की झिल्ली के कैंसर (Peritoneal Carcinomatosis) से पीड़ित एक 54 वर्षीय महिला का तीन सफल सत्रों में पाईपेक (PIPAC) तकनीक से इलाज किया गया।
यह उपलब्धि मध्य भारत के किसी भी सरकारी संस्थान में पहली बार दर्ज की गई है।
क्या है पाईपेक तकनीक?
पाईपेक (Pressurized Intraperitoneal Aerosol Chemotherapy) एक उन्नत कीमोथेरेपी तकनीक है, जिसमें दवा को एयरोसोल के रूप में पेट की गुहा में दबाव के साथ डाला जाता है। यह प्रक्रिया कम चीरा, कम दुष्प्रभाव, और अधिक प्रभावी परिणाम देती है।
डॉ. आशुतोष गुप्ता ने बताया कि यह प्रक्रिया उन मरीजों के लिए उपयोगी है, जिन पर सामान्य कीमोथेरेपी या सर्जरी असर नहीं करती। रिसर्च के अनुसार, इससे 60-80% मरीजों में सुधार देखा गया है।
तीन सत्रों में सफलता – एक दुर्लभ उपलब्धि
इस प्रक्रिया में आमतौर पर मरीज एक से अधिक सत्र नहीं ले पाते, लेकिन रायपुर के इस संस्थान में मरीज ने सफलतापूर्वक तीनों सत्र पूरे किए और वर्तमान में स्वस्थ जीवन जी रही हैं।
यह सफलता उचित चयन, अनुभवशील चिकित्सकों और बेहतर पोस्ट ऑपरेटिव देखभाल के चलते संभव हो सकी।
विशेषज्ञों की राय
- डॉ. विवेक चौधरी, डीन, मेडिकल कॉलेज रायपुर ने इसे “मध्य भारत के कैंसर रोगियों के लिए आशा की नई किरण” बताया।
- डॉ. संतोष सोनकर, अधीक्षक, डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल ने कहा, “पाईपेक के तीन सफल सेशन हमें अग्रणी चिकित्सा संस्थान की श्रेणी में लाते हैं।”
सीमित जगहों पर उपलब्ध, अब रायपुर में भी
यह तकनीक अभी तक केवल एम्स दिल्ली, टाटा मेमोरियल मुंबई जैसे संस्थानों में ही उपलब्ध थी, लेकिन अब रायपुर मेडिकल कॉलेज में भी इसे सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया है, जो कि छत्तीसगढ़ और पूरे मध्य भारत के लिए एक मील का पत्थर है।