महादेव घाट हटकेश्वरनाथ मंदिर: हजारों वर्षों से आस्था का प्रतीक, जानिए इसका इतिहास और महत्व
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्थित महादेव घाट पर बने ऐतिहासिक हटकेश्वरनाथ मंदिर का धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत गहरा है। खारून नदी के तट पर स्थित यह प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं के आस्था का केंद्र बना हुआ है।

मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
मान्यताओं के अनुसार, हजारों वर्ष पूर्व खारून नदी में स्वर्ण के कण पाए जाते थे। द्वापर युग में इस नदी को द्वारकी नदी के नाम से जाना जाता था। जब हैहयवंशी राजा ब्रह्मदेव शिकार के दौरान यहां पहुंचे, तो उन्हें नदी में बहता हुआ शिवलिंग दिखाई दिया। राजा ने शिवलिंग को नदी के किनारे स्थापित कर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया।

बाद में कल्चुरी वंश के राजा भोरमदेव के पुत्र राजा रामचंद्र ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया। प्राप्त शिलालेखों और अवशेषों के आधार पर अनुमान लगाया जाता है कि यह मंदिर लगभग 500 साल पुराना है। मंदिर की सुंदर नक्काशी और वास्तुकला इसकी ऐतिहासिक भव्यता का प्रमाण है।

रामायण काल से जुड़ी मान्यता
एक धार्मिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई के लिए रामेश्वरम में पुल बना रहे थे, तब हनुमान जी को शिवलिंग लाने भेजा गया था। समय की कमी के चलते श्रीराम ने रेत से शिवलिंग की स्थापना कर दी थी। लौटते समय हनुमान जी को शिवलिंग किसी नदी किनारे स्थापित करने का आदेश मिला। माना जाता है कि हनुमान जी ने खारून नदी के किनारे इस शिवलिंग को स्थापित किया, जो बाद में हटकेश्वरनाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

पिंडदान और मेलों का आयोजन
महादेव घाट पर साल में तीन प्रमुख अवसरों—कार्तिक पूर्णिमा, माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि—पर भव्य मेले का आयोजन होता है। इन अवसरों पर हजारों श्रद्धालु रुद्राभिषेक और विशेष पूजन के लिए उमड़ते हैं। इसके अलावा, खारून नदी के तट पर पिंडदान कर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी श्रद्धालु आते हैं।

विशेष आकर्षण
महादेव घाट पर बने लक्ष्मण झूला और नाव की सवारी पर्यटकों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। इसके अलावा, सुंदर गार्डन भी यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। रायपुर सहित आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में सैलानी और श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।

कल्चुरी वंश का योगदान
इतिहासकारों के अनुसार, 1402 ईस्वी में कल्चुरी वंश के राजा रामचंद्र के पुत्र ब्रह्मदेव राय के शासनकाल में हाजीराज नाइक ने इस मंदिर का निर्माण कार्य संपन्न कराया था। मान्यता है कि यहां नंदी महाराज के कान में भक्त जो भी मन्नत मांगते हैं, वह भगवान शिव अवश्य पूरी करते हैं।

सावन महीने में विशेष महत्व
सावन मास के दौरान, रायपुर समेत प्रदेश भर से श्रद्धालु कांवर यात्रा निकालते हुए यहां पहुंचते हैं। हर वर्ष यहां से कांवर पदयात्रा भी निकाली जाती है, जिसमें भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक कर अपने आराध्य को प्रसन्न करते हैं।

निष्कर्ष
महादेव घाट का हटकेश्वरनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम है। यहां आने वाला हर श्रद्धालु शांति, सुख और समृद्धि की अनुभूति करता है। अगर आप रायपुर आएं तो इस पावन स्थल के दर्शन करना न भूलें।
