रायपुर। प्रदेश में बढ़ते धर्मांतरण के मामलों पर रोक लगाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सख्त कानून लाने की घोषणा की है। रायपुर के शदाणी दरबार में आयोजित हिंदू राष्ट्रीय अधिवेशन में बोलते हुए सीएम ने कहा कि धर्मांतरण पर आधारित नया कानून तैयार किया गया है, जिसका ड्राफ्ट बन चुका है और इसे जल्द ही विधानसभा के अगले सत्र में पेश किया जाएगा।
जबरन या लालच से धर्मांतरण पर होगी कड़ी कार्रवाई
मुख्यमंत्री साय ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में जबरन या प्रलोभन देकर धर्मांतरण करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।
उन्होंने जशपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव और उनके पुत्र प्रबल प्रताप जूदेव ने “घर वापसी” अभियान को मजबूती दी है। इसके साथ ही कल्याण आश्रम के कार्यकर्ता गांव-गांव में जाकर हिंदू धर्म के प्रचार और जागरूकता का कार्य कर रहे हैं।
सीएम साय ने कहा:
“जशपुर में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च है, फिर भी वहां हमारी संस्कृति और धर्म को बचाने का कार्य निरंतर जारी है।”
गौवंश संरक्षण को लेकर बड़ा ऐलान
मुख्यमंत्री ने गौवंश संरक्षण के मुद्दे पर भी गंभीर रुख अपनाते हुए कहा कि आने वाले समय में प्रदेश की सड़कों पर कोई भी गाय नजर नहीं आनी चाहिए। उन्होंने बताया कि—
- राज्य में 125 पंजीकृत गौशालाएं हैं।
- इन गौशालाओं के लिए अनुदान राशि 5 लाख से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दी गई है।
- नगरीय क्षेत्रों में भी गौशालाएं स्थापित की गई हैं।
- अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि सड़कों पर मवेशी नहीं दिखने चाहिए।
सीएम साय ने हिंदू समुदाय से अपील करते हुए कहा:
“जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे सड़क पर न छोड़ा जाए। यह स्थिति ठीक नहीं है। हमारी सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि आने वाले समय में प्रदेश की सड़कों पर कोई मवेशी नजर न आए।”
सरकार की दोहरी प्राथमिकता: धर्म-संरक्षण और गौसेवा
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के इन बयानों से स्पष्ट है कि उनकी सरकार धार्मिक पहचान की रक्षा और पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण को प्राथमिकता दे रही है। धर्मांतरण पर सख्ती और गौवंश की सेवा – इन दोनों पहलुओं पर सरकार का आगामी कानून और नीतियां तय होंगी।