आंगनबाड़ी और स्कूलों में गैस चूल्हे से बनने लगा सेहतमंद भोजन
प्रदेश के स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में अब गैस चूल्हे से भोजन बनाया जा रहा है। इससे जहां बच्चों को पौष्टिक भोजन मिल रहा है, वहीं रसोइयों को धुएं से भी मुक्ति मिली है। कोरबा जिले के आंगनबाड़ी केन्द्रों और प्राथमिक व मिडिल स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी अब पहले से अधिक उत्साहित हैं।
स्कूल और आंगनबाड़ी में सुबह मिलने वाले नाश्ते—खीर, पूड़ी, हलवा, खिचड़ी, पोहा, भजिया और सेवई—ने बच्चों में ऊर्जा और पढ़ाई के प्रति रूचि बढ़ाई है। रसोइयों का कहना है कि पहले लकड़ी के चूल्हे से खाना बनाने में बहुत समय और परेशानी होती थी, लेकिन अब गैस सिलेंडर से मिनटों में भोजन तैयार हो जाता है।
मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के निर्देश और मंत्री श्री लखनलाल देवांगन के मार्गदर्शन में कलेक्टर श्री अजीत वसंत ने कोरबा जिले के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों और स्कूलों में नाश्ता व्यवस्था डीएमएफ से कराई है। अलग-अलग दिनों में निर्धारित मेनू के अनुसार बच्चों को नाश्ता और भोजन दिया जा रहा है।
बच्चों की बढ़ी उपस्थिति और रूचि
धोबघाट, लामपहाड़ और पण्डोपारा जैसे दूरस्थ गांवों में पढ़ने वाले बच्चे अब नियमित रूप से स्कूल और आंगनबाड़ी पहुंच रहे हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति समाज के बच्चों में भी इस व्यवस्था का सकारात्मक असर दिख रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का कहना है कि पहले कई बच्चों को घर पर पर्याप्त आहार नहीं मिलता था, लेकिन अब नाश्ता और दोपहर का भोजन उनके शारीरिक विकास में मदद कर रहा है।
सवा दो लाख बच्चे हो रहे लाभान्वित
कोरबा जिले की 2,602 आंगनबाड़ी में 6 माह से 6 वर्ष तक के लगभग 1.04 लाख बच्चे और 1,502 प्राथमिक व 537 मिडिल स्कूलों के करीब 1.21 लाख विद्यार्थी नाश्ते और मध्यान्ह भोजन का लाभ उठा रहे हैं। नाश्ते और भोजन पकाने के लिए डीएमएफ से गैस सिलेंडर की व्यवस्था भी की गई है।
यह पहल बच्चों के स्वास्थ्य सुधार, शिक्षा में रूचि बढ़ाने और रसोइयों को धुएं से मुक्ति दिलाने में मील का पत्थर साबित हो रही है।