परिवारजनों ने कहा — शासन की पुनर्वास नीति का लाभ लेकर सामान्य जीवन जीएं
रायपुर/बीजापुर, 15 नवंबर 2025
बीजापुर जेल परिसर में शुक्रवार को एक ऐसा भावुक दृश्य देखने को मिला जिसने वर्षों से अलग-थलग पड़े परिवारों को फिर से एक सूत्र में जोड़ दिया। छत्तीसगढ़ शासन की मानवीय पहल के तहत आयोजित इस विशेष मुलाक़ात कार्यक्रम में पुनर्वासित पूर्व नक्सली युवाओं ने अपने उन परिजनों से मुलाक़ात की, जो वर्तमान में नक्सल प्रकरणों में निरूद्ध हैं।
आंखों में आंसू, भावनाओं का सैलाब और वर्षों की दूरी के बावजूद रिश्तों की गर्माहट—इस मुलाक़ात ने सभी को भीतर तक झकझोर दिया।
वर्षों बाद गले मिले, भावनाओं ने बयां की पूरी कहानी
पुनर्वासित युवाओं संतू वेक्को, मारो वेक्को, रामलाल वेक्को, संतोष कुंजाम, बदरू ओयाम, मासा तामो, लखन ओयाम, लक्ष्मण ताती, मैनु आरकी, राजेश वेट्टी और कुमारी आरकी ने जेल में निरुद्ध अपने परिवारजनों से मुलाक़ात की।
अर्जुन वेक्को, मनी ओयाम, भीमसेन ओयाम, भीमा मुचाकी, सायको माड़वी, सोमारू मड़कम, बुधरू आरकी और शंकर कोरसा जैसे निरूद्ध बंदी अपने परिजनों को देखकर भावुक हो उठे और आंसू नहीं रोक सके।
जेल का कठोर वातावरण भी उस समय भावनाओं से पिघल गया जब भाई ने भाई को गले लगाया, भाभी ने सिर पर स्नेह से हाथ फेरा और चाचा ने वर्षों बाद भतीजों को पहचाना। बिना बोले भी आंखों की नमी ने सब कुछ कह दिया।
“अब बस, बहुत हुआ… लौट आओ मुख्यधारा में”
परिवारजनों और पुनर्वासित युवाओं ने अपने निरुद्ध साथियों से आग्रह किया—
“हम बदले तो जिंदगी बदली… तुम भी हथियार छोड़ो, घर चलो। समाज तुम्हें वापस अपनाने को तैयार है।”
कई पुनर्वासित युवाओं ने बताया कि अब उनके पूर्व क्षेत्रीय प्रमुख भूपति ने भी हथियार छोड़ दिया है और सभी को हिंसा का रास्ता छोड़ने की अपील की है। इस बात ने निरूद्ध बंदियों को और अधिक भावुक कर दिया।
शासन की पुनर्वास नीति का असर
यह कार्यक्रम केवल मुलाक़ात नहीं था बल्कि भटके युवाओं के पुनर्वास की दिशा में शासन की गंभीर और संवेदनशील पहल का हिस्सा है। मकसद है—
- टूटे पारिवारिक रिश्तों को जोड़ना
- हिंसा से दूर कर युवाओं को सामान्य जीवन की ओर ले जाना
- समाज में विश्वास और शांति की स्थापना करना
“कभी बहकावे में हिंसा की राह पकड़ी थी, अब लौटने के लिए मार्ग खोला जा रहा है” — उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विश्वास और विकास सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा—
“जो युवा बहकावे में हिंसा की राह पर चले गए थे, उनके लिए शासन ने नए सिरे से जीवन शुरू करने के द्वार खोल दिए हैं। पुनर्वास की राह सबके लिए खुली है।”
यह पहल न केवल विचारधारा से भटके युवाओं को घर लौटने की प्रेरणा देती है बल्कि समाज में स्थायी शांति और भरोसे की नींव भी मजबूत करती है।
यदि चाहें, मैं इसका छोटा संस्करण, हेडलाइन या सोशल मीडिया पोस्ट भी तैयार कर दूँ।
रायपुर : मुख्यधारा में लौटे नक्सली जेल में मिले अपने परिजनों से — भावुक मुलाक़ात में दिया संदेश, “माओवाद और हिंसा छोड़ें, घर लौट आएं”
परिवारजनों ने कहा — शासन की पुनर्वास नीति का लाभ लेकर सामान्य जीवन जीएं
बीजापुर, 15 नवंबर 2025, बीजापुर जेल परिसर में शुक्रवार को एक ऐसा भावुक दृश्य देखने को मिला जिसने वर्षों से अलग-थलग पड़े परिवारों को फिर से एक सूत्र में जोड़ दिया। छत्तीसगढ़ शासन की मानवीय पहल के तहत आयोजित इस विशेष मुलाक़ात कार्यक्रम में पुनर्वासित पूर्व नक्सली युवाओं ने अपने उन परिजनों से मुलाक़ात की, जो वर्तमान में नक्सल प्रकरणों में निरूद्ध हैं।
आंखों में आंसू, भावनाओं का सैलाब और वर्षों की दूरी के बावजूद रिश्तों की गर्माहट—इस मुलाक़ात ने सभी को भीतर तक झकझोर दिया।
वर्षों बाद गले मिले, भावनाओं ने बयां की पूरी कहानी
पुनर्वासित युवाओं संतू वेक्को, मारो वेक्को, रामलाल वेक्को, संतोष कुंजाम, बदरू ओयाम, मासा तामो, लखन ओयाम, लक्ष्मण ताती, मैनु आरकी, राजेश वेट्टी और कुमारी आरकी ने जेल में निरुद्ध अपने परिवारजनों से मुलाक़ात की।
अर्जुन वेक्को, मनी ओयाम, भीमसेन ओयाम, भीमा मुचाकी, सायको माड़वी, सोमारू मड़कम, बुधरू आरकी और शंकर कोरसा जैसे निरूद्ध बंदी अपने परिजनों को देखकर भावुक हो उठे और आंसू नहीं रोक सके।
जेल का कठोर वातावरण भी उस समय भावनाओं से पिघल गया जब भाई ने भाई को गले लगाया, भाभी ने सिर पर स्नेह से हाथ फेरा और चाचा ने वर्षों बाद भतीजों को पहचाना। बिना बोले भी आंखों की नमी ने सब कुछ कह दिया।
“अब बस, बहुत हुआ… लौट आओ मुख्यधारा में”
परिवारजनों और पुनर्वासित युवाओं ने अपने निरुद्ध साथियों से आग्रह किया—
“हम बदले तो जिंदगी बदली… तुम भी हथियार छोड़ो, घर चलो। समाज तुम्हें वापस अपनाने को तैयार है।”
कई पुनर्वासित युवाओं ने बताया कि अब उनके पूर्व क्षेत्रीय प्रमुख भूपति ने भी हथियार छोड़ दिया है और सभी को हिंसा का रास्ता छोड़ने की अपील की है। इस बात ने निरूद्ध बंदियों को और अधिक भावुक कर दिया।
शासन की पुनर्वास नीति का असर
यह कार्यक्रम केवल मुलाक़ात नहीं था बल्कि भटके युवाओं के पुनर्वास की दिशा में शासन की गंभीर और संवेदनशील पहल का हिस्सा है। मकसद है—
- टूटे पारिवारिक रिश्तों को जोड़ना
- हिंसा से दूर कर युवाओं को सामान्य जीवन की ओर ले जाना
- समाज में विश्वास और शांति की स्थापना करना
“कभी बहकावे में हिंसा की राह पकड़ी थी, अब लौटने के लिए मार्ग खोला जा रहा है” — उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विश्वास और विकास सुनिश्चित करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने कहा—
“जो युवा बहकावे में हिंसा की राह पर चले गए थे, उनके लिए शासन ने नए सिरे से जीवन शुरू करने के द्वार खोल दिए हैं। पुनर्वास की राह सबके लिए खुली है।”
यह पहल न केवल विचारधारा से भटके युवाओं को घर लौटने की प्रेरणा देती है बल्कि समाज में स्थायी शांति और भरोसे की नींव भी मजबूत करती है।
