भारत और यूरोपीय संघ को व्यापार समझौते के लिए दूर करनी होंगी रुकावटें : पीयूष गोयल
नई दिल्ली, 12 अप्रैल — केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि भारत और यूरोपीय संघ (EU) के बीच एक संतुलित और लाभदायक व्यापार समझौते को अमल में लाने के लिए दोनों पक्षों को मौजूदा बाधाओं को दूर करना होगा।
गोयल ने यह बयान हाल ही में हुई एक द्विपक्षीय बैठक के बाद दिया, जहाँ भारत और यूरोपीय संघ के बीच स्वतंत्र व्यापार समझौते (FTA) को लेकर चल रही वार्ताओं की प्रगति की समीक्षा की गई।
“हम इस समझौते को लेकर सकारात्मक हैं, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिन पर दोनों पक्षों को लचीलापन दिखाना होगा,” गोयल ने कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत एक निष्पक्ष, पारदर्शी और आपसी हितों पर आधारित समझौते के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रमुख अड़चनें
इस समझौते को लेकर कई तकनीकी और नीतिगत मतभेद सामने आए हैं:
- टैरिफ से जुड़े मुद्दे: यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत अपने कुछ उत्पादों पर आयात शुल्क में छूट दे, जबकि भारत कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों को लेकर सतर्क है।
- बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): EU चाहता है कि भारत अपने IPR कानूनों को और सख्त बनाए, खासकर फार्मास्युटिकल्स सेक्टर में, जबकि भारत इससे अपनी जनस्वास्थ्य नीतियों पर असर पड़ने की आशंका जताता है।
- पर्यावरण और श्रम मानक: EU अपने व्यापार समझौतों में सस्टेनेबिलिटी से जुड़े प्रावधान शामिल करना चाहता है, जो भारत के लिए एक चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बन सकता है।
आशा की किरण
हालांकि चुनौतियाँ हैं, फिर भी दोनों पक्ष इस समझौते को 2025 तक अंतिम रूप देने की मंशा जता चुके हैं। यह समझौता भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापारिक रिश्तों को एक नई दिशा देगा और दोनों अर्थव्यवस्थाओं को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान करेगा।
“यह समझौता सिर्फ व्यापार का मामला नहीं है, बल्कि यह भारत और यूरोपीय संघ के रणनीतिक रिश्तों को मजबूत करने का एक ऐतिहासिक अवसर भी है,” गोयल ने कहा।