ग्रह शांति पूजा: जीवन में संतुलन और सुख-शांति के लिए वैदिक उपाय
नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में ग्रह शांति पूजा एक महत्वपूर्ण वैदिक अनुष्ठान मानी जाती है, जिसका उद्देश्य जन्म कुंडली में ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति से उत्पन्न होने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करना और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना होता है।
ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवग्रहों का मानव जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। जब ये ग्रह कुंडली में अशुभ स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन, करियर, शिक्षा, वैवाहिक जीवन और रिश्तों जैसे क्षेत्रों में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में ग्रह शांति पूजा से इन दोषों का निवारण किया जा सकता है।
पूजा की विधि
ग्रह शांति पूजा में संबंधित ग्रहों के वैदिक मंत्रों का जाप, हवन (अग्नि अनुष्ठान), और विशेष वस्तुओं का दान किया जाता है। इस पूजा को किसी योग्य पंडित या अनुभवी ज्योतिषी के मार्गदर्शन में, शुभ मुहूर्त में संपन्न करना आवश्यक होता है।
हर ग्रह की अलग विधि
हर ग्रह की विशेष प्रकृति और प्रभाव के अनुसार, उसकी पूजा की विधि और मंत्र अलग होते हैं। जैसे शनि ग्रह के लिए शनि मंत्र, तिल का दान और नीले वस्त्र धारण करना लाभकारी माना जाता है, वहीं मंगल दोष के लिए मंगल मंत्र, लाल चंदन का तिलक और लाल वस्त्रों का प्रयोग किया जाता है।
जीवन में लाभ
ग्रह शांति पूजा से न केवल मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर सफलता के मार्ग को प्रशस्त करती है। यह अनुष्ठान व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व, सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है।
ग्रहों की शांति से जुड़ा यह वैदिक उपाय न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे गहन ज्योतिषीय और आध्यात्मिक तर्क भी निहित हैं।