भारत की विविधता में एकता का सबसे बड़ा आधार उसकी भाषाई संस्कृति है। देश में सैकड़ों भाषाएँ और बोलियाँ प्रचलित हैं, किंतु हिन्दी ने पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने का कार्य किया है। हिन्दी केवल भाषा नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय पहचान का प्रतीक है।
धमतरी जिले सहित पूरे छत्तीसगढ़ में जनमानस क्षेत्रीय बोलियों जैसे छत्तीसगढ़ी, हल्बी, गोंडी आदि में संवाद करता है। लेकिन शासकीय कार्य, शिक्षा और व्यापक सामाजिक संपर्क में हिन्दी सभी को जोड़ने वाली कड़ी बन जाती है। यही कारण है कि राज्य शासन और जिला प्रशासन का अधिकांश कामकाज हिन्दी में ही होता है। हिन्दी जनसाधारण तक योजनाओं और सेवाओं को सरलता से पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
छत्तीसगढ़ की भौगोलिक सीमाएँ बस्तर से लेकर सरगुजा तक विस्तृत हैं, और इन क्षेत्रों में अलग-अलग भाषाएँ प्रचलन में हैं। ऐसे विविध वातावरण में हिन्दी संवाद का सेतु बनकर कार्य करती है। हिन्दी के माध्यम से राज्य की संस्कृति, साहित्य और सामाजिक जीवन को भी व्यापक मंच मिलता है। इसकी पहुँच और स्वीकार्यता प्रशासनिक पारदर्शिता और सुशासन को सुदृढ़ करती है।
हिन्दी की महानता उसकी सरलता, सहजता और व्यापक स्वीकार्यता में निहित है। यह भाषा न केवल भारत को जोड़ती है, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय समुदाय को भी मातृभूमि से आत्मीयता का अनुभव कराती है। विज्ञान, तकनीक, व्यापार और संचार के क्षेत्र में हिन्दी का महत्व निरंतर बढ़ रहा है।
हिन्दी के गौरव को केवल उत्सव तक सीमित न रखते हुए इसे जीवन में अपनाना आवश्यक है। विद्यालयों और महाविद्यालयों में विद्यार्थियों को हिन्दी लेखन, वाचन और अभिव्यक्ति के अवसर अधिक से अधिक उपलब्ध कराना चाहिए। प्रशासनिक तंत्र में भी हिन्दी के प्रयोग को सशक्त बनाना होगा।
हिन्दी दिवस केवल स्मरण नहीं, बल्कि हमारी जड़ों और राष्ट्रीय एकता से जुड़ने का अवसर है। धमतरी जिले के नागरिकों की हिन्दी के प्रति आत्मीयता इस बात का प्रमाण है कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति, समाज और राष्ट्र की आत्मा है।
संविधान सभा ने स्वतंत्रता के बाद भारत की राष्ट्रभाषा के रूप में हिन्दी को चुना। 14 सितंबर 1949 को अनुच्छेद 343 के तहत देवनागरी लिपि में लिखी गई हिन्दी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया गया। इसी कारण 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई।
कहा जा सकता है कि हिन्दी हमारी पहचान, धरोहर और एकता की सबसे मजबूत डोर है। हिन्दी दिवस पर संकल्प होना चाहिए कि हम हिन्दी के प्रचार-प्रसार और सम्मान को सर्वोच्च प्राथमिकता देंगे।