नई दिल्ली। केंद्र सरकार 11 अगस्त को संसद में न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 पेश करने जा रही है। यह बिल आयकर अधिनियम, 1961 को बदलने और कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और करदाता-अनुकूल बनाने के उद्देश्य से लाया जा रहा है। इस बिल की समीक्षा के लिए गठित संसदीय सेलेक्ट कमेटी ने 285 सुझाव दिए हैं, जिनमें से कई महत्वपूर्ण बदलावों की सिफारिश की गई है। आइए, कमेटी के 10 प्रमुख सुझावों पर एक नजर डालते हैं।
सेलेक्ट कमेटी की सिफारिशें
- परिभाषाओं को स्पष्ट करना: कमेटी ने सुझाव दिया है कि बिल में परिभाषाओं को और सटीक किया जाए ताकि अस्पष्टता (कन्फ्यूजन) दूर हो और इसे मौजूदा कर प्रणाली के साथ बेहतर ढंग से संरेखित (अलाइन) किया जा सके।
- 285 सुझावों पर जोर: 31 सदस्यों वाली सेलेक्ट कमेटी ने व्यापक चर्चा के बाद 285 सिफारिशें दी हैं, जो आयकर कानून को सरल और समझने में आसान बनाने पर केंद्रित हैं।
- ड्राफ्टिंग में सुधार: कमेटी ने स्टेकहोल्डर्स के सुझावों के आधार पर कई ड्राफ्टिंग त्रुटियों को सुधारने की सिफारिश की है, जो बिल को स्पष्ट और व्याख्या में आसान बनाने के लिए आवश्यक हैं।
- 566 सुझावों वाली विस्तृत रिपोर्ट: संसदीय पैनल ने अपनी 4,584 पेज की रिपोर्ट में कुल 566 सुझाव दिए हैं, जिनमें तकनीकी और प्रक्रियात्मक बदलाव शामिल हैं।
- रिफंड नियम में बदलाव: कमेटी ने सुझाव दिया है कि आयकर रिफंड से संबंधित उस प्रावधान को हटाया जाए, जिसमें देर से आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने पर रिफंड न देने की बात थी। अब देर से रिटर्न दाखिल करने वाले भी रिफंड का दावा कर सकेंगे।
- इंटर-कॉर्पोरेट डिविडेंड पर छूट: धारा 80एम (नए बिल की धारा 148) के तहत विशेष कर दरों का लाभ लेने वाली कंपनियों के लिए इंटर-कॉर्पोरेट डिविडेंड पर छूट की सिफारिश की गई है।
- निल टीडीएस सर्टिफिकेट की अनुमति: कमेटी ने करदाताओं को निल टीडीएस सर्टिफिकेट प्राप्त करने की अनुमति देने का प्रस्ताव रखा है, ताकि करदाताओं को राहत मिल सके।
- टैक्स दरों में कोई बदलाव नहीं: आयकर विभाग ने स्पष्ट किया है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) या अन्य कर दरों में कोई बदलाव की सिफारिश नहीं की गई है, जैसा कि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था।
- माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज की परिभाषा: कमेटी ने सुझाव दिया है कि माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज की परिभाषा को एमएसएमई अधिनियम के अनुरूप किया जाए।
- अन्य महत्वपूर्ण सुझाव: बिल में अग्रिम रूलिंग शुल्क, प्रोविडेंट फंड पर टीडीएस, कम कर सर्टिफिकेट और दंड प्रावधानों पर स्पष्टता के लिए संशोधनों की सिफारिश की गई है।
बिल का उद्देश्य और भविष्य
न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 का उद्देश्य 1961 के आयकर अधिनियम को बदलना और कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और कम विवादास्पद बनाना है। यह बिल 1 अप्रैल, 2026 से लागू होने की उम्मीद है। सेलेक्ट कमेटी की सिफारिशों को शामिल करने के लिए पुराना बिल वापस लिया गया था, और अब नया संशोधित बिल 11 अगस्त को लोकसभा में पेश किया जाएगा।