नई दिल्ली: ड्यूक बॉल की गुणवत्ता को लेकर बढ़ती आलोचनाओं के बीच, ड्यूक कंपनी के मालिक दिलीप जाजोदिया ने गेंदों की समीक्षा का निर्णय लिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गेंदों की गुणवत्ता पर बारीकी से नजर रखी जाएगी और आवश्यक सुधार किए जाएंगे। यह कदम भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज में सामने आई समस्याओं के बाद उठाया गया है, जहां ड्यूक बॉल की परफॉर्मेंस को लेकर खिलाड़ियों और अंपायरों ने चिंता जताई थी।
भारत-इंग्लैंड टेस्ट में ड्यूक बॉल पर सवाल
भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में ड्यूक बॉल को लेकर कई गंभीर शिकायतें सामने आई हैं। पहले तीन मैचों में 30 ओवर के बाद गेंद का जल्दी घिस जाना और उसकी गुणवत्ता में गिरावट, खेल के दौरान बाधा बनती रही। भारतीय कप्तान शुभमन गिल और इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने भी इसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए थे।
ECB का बड़ा फैसला: गेंदें लौटेंगी वापस
गेंद की गुणवत्ता से असंतुष्ट इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने निर्णय लिया है कि वे सीरीज में इस्तेमाल की गई अधिकांश गेंदों को ड्यूक कंपनी को लौटाएंगे। ECB ने यह भी बताया कि सप्ताह के अंत तक सभी उपयोग की गई गेंदें वापस भेज दी जाएंगी, ताकि निर्माता उनकी गुणवत्ता की जांच कर सके।
दिलीप जाजोदिया का जवाब: गुणवत्ता होगी प्राथमिकता
ड्यूक बॉल्स लिमिटेड के प्रमुख दिलीप जाजोदिया ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे गेंदों की निर्माण प्रक्रिया की गहराई से समीक्षा करेंगे। यदि यह पाया गया कि गेंदों में कोई तकनीकी या गुणवत्ता संबंधी खामी है, तो निर्माण प्रक्रिया में जरूरी सुधार किए जाएंगे।
क्यों उठे ड्यूक बॉल पर सवाल?
इस सीरीज में ड्यूक बॉल के 30 ओवर के अंदर ही घिस जाने की समस्या आम रही, जिससे मैचों की रफ्तार प्रभावित हुई और खिलाड़ियों की रणनीतियों पर भी असर पड़ा। भारतीय टीम को भी इस कारण गेंदबाजी में परेशानी झेलनी पड़ी।
गेंदों में विविधता: देश के हिसाब से बदलाव
ज्ञात हो कि इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट में ड्यूक बॉल का इस्तेमाल होता है, भारत में एसजी और ऑस्ट्रेलिया में कूकाबूरा गेंदों का प्रयोग किया जाता है। हालांकि ड्यूक बॉल का निर्माण 1760 से हो रहा है, लेकिन मौजूदा परिस्थितियों ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शुभमन गिल का असंतोष और लॉर्ड्स टेस्ट का अनुभव
लॉर्ड्स टेस्ट में शुभमन गिल खुले तौर पर गेंद की स्थिति से असंतुष्ट दिखे। खराब गेंदों के कारण अंपायरों को बार-बार गेंद बदलनी पड़ी, जिससे खेल की गति प्रभावित हुई और गेंदबाजों की परफॉर्मेंस पर भी नकारात्मक असर पड़ा। फिलहाल भारत यह सीरीज 2-1 से पीछे चल रहा है।