ऑस्ट्रेलिया में 19 देशों की सेनाओं ने मिलकर टैलिसमैन सेबर 2025 नामक विशाल सैन्य अभ्यास शुरू किया है। इस अभ्यास में 35 हजार से अधिक सैनिक भाग ले रहे हैं, जो अब तक का सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे उन्नत युद्धाभ्यास माना जा रहा है। इस सैन्य अभ्यास का उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियों और विस्तारवादी नीति के विरुद्ध एकजुट रणनीतिक संदेश देना है।
टैलिसमैन सेबर अभ्यास की शुरुआत 2005 में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक द्विवार्षिक अभ्यास के रूप में हुई थी। समय के साथ यह बहुपक्षीय बन गया और अब इसमें भारत, जापान, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाईलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, नीदरलैंड, फिजी, टोंगा, पापुआ न्यू गिनी और फिलीपीन जैसे देश शामिल हैं। मलेशिया और वियतनाम इस बार पर्यवेक्षक के रूप में शामिल हैं।
तीन सप्ताह तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास का मकसद मल्टी डोमेन युद्ध यानी जमीन, समुद्र, हवा और साइबर क्षेत्र में संयुक्त संचालन की रणनीतियों का अभ्यास करना है। इसके साथ ही यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत शांति स्थापना, क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोगी देशों के बीच सैन्य समन्वय को बढ़ावा देने का भी कार्य करेगा।
टैलिसमैन सेबर ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है, ताइवान और तिब्बत पर दबाव बना रहा है और नेपाल समेत कई छोटे देशों में बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के जरिए प्रभाव फैलाने की कोशिश कर रहा है। समुद्री मार्गों से लेकर कर्ज के जाल तक, चीन की रणनीतियां वैश्विक चिंता का विषय बन चुकी हैं।
भारत की इस अभ्यास में सक्रिय भागीदारी न केवल उसकी क्षेत्रीय भूमिका को रेखांकित करती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत अब वैश्विक सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग में अहम भागीदार बन चुका है।
टैलिसमैन सेबर अभ्यास इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता और संतुलन बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।