मुंबई। भारतीय घड़ी उद्योग में एक ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में टाइटन ने अपनी अब तक की सबसे महंगी और शाही घड़ी ‘जलसा’ का अनावरण किया है। 40.5 लाख रुपये की इस लग्जरी घड़ी को जयपुर के हवा महल की 225वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में लॉन्च किया गया है। यह घड़ी केवल 10 यूनिट में उपलब्ध है, जिससे इसकी दुर्लभता और मूल्य दोनों और बढ़ जाते हैं।
कलात्मकता और विरासत का प्रतीक
‘जलसा’ सिर्फ एक टाइमपीस नहीं, बल्कि एक चलती-फिरती कला कृति है। इसका डायल पद्मश्री शाकिर अली द्वारा तैयार किया गया है वे फारसी-मुगल लघु चित्रकला के अंतिम महान उस्तादों में से एक हैं। डायल पर महाराजा सवाई प्रताप सिंह को हाथी पर सवार दिखाया गया है, हवा महल की बारीक नक्काशीदार पृष्ठभूमि में। रंगों के लिए उपयोग किया गया है प्राकृतिक लैक, नील, हल्दी और सोना, और आधार बना है संगमरमर का बारीक टुकड़ा। हर घड़ी का डायल पूर्णतः हस्तनिर्मित है, जिसकी तैयारी में कई महीने लगे।

टेक्नोलॉजी और शिल्प का अनोखा मेल
‘जलसा’ के भीतर है टाइटन का इन-हाउस फ्लाइंग टूरबिलन मूवमेंट, जिसमें 144 पुर्जे और 14 रत्न शामिल हैं। यह तंत्र उच्चतम सटीकता के लिए बनाया गया है, और नीलम क्रिस्टल केसबैक से इसे देखा जा सकता है। घड़ी के आर्किटेक्चरल पुल लाल सुलेमानी (रेड एगेट) पत्थरों से जड़े हैं, और मिनट हैंड पर एक नीलम मैग्निफायर लगाया गया है जो डायल की लघु कला को उभारता है। 18 कैरेट रोज़ गोल्ड से बनी इस घड़ी का व्यास है 43.5 मिमी, और वजन 68 ग्राम इसे पहनना किसी रॉयल एक्सपीरियंस से कम नहीं।

GPHG 2025 में भारत की दमदार उपस्थिति
‘जलसा’ को विश्व घड़ी उद्योग के सबसे प्रतिष्ठित मंच GPHG 2025 (Grand Prix d’Horlogerie de Genève) में भारत की आधिकारिक एंट्री के रूप में शामिल किया गया है। टाइटन के मैनेजिंग डायरेक्टर सी. के. वेंकटरमन के अनुसार “जलसा एक सांस्कृतिक धरोहर है, जो भारतीय शिल्प और तकनीक का उत्कृष्ट संगम प्रस्तुत करती है।” डिज़ाइन प्रमुख रेवती कांत ने इसे एक “विश्वस्तरीय भारतीय लग्जरी की पहचान” बताया।